सीकर. नीट की तैयारी कर रहा छात्र पढ़ाई को लेकर इतने दबाव में आ गया कि दिल्ली भाग गया। रुपए खत्म हो गए तो ढाबे पर बर्तन साफ करने पड़े। परेशान होकर आकर तीन महीने बाद छात्र घर लौट आया। बाल कल्याण समिति के सदस्य गिरवर सिंह झाझड़ ने बताया कि छात्र को उसके परिजनों को सौंप दिया गया गया है। मामले में उद्योग नगर में गुमशुदगी दर्ज कराई गई थी।
बच्चे की काउंसलिंग की गई ताे उसने बताया कि 10वीं में उसके 80 फीसदी अंक आए। माता-पिता सरकारी शिक्षक हैं। उन्हाेंने नीट की तैयारी के लिए कोचिंग में एडमिशन करा दिया। यहां पढ़ाई के लिए टीचर्स ने उस पर दबाव डाला। इसी दबाव व तनाव से बचने के लिए वह हॉस्टल से भाग निकला और दिल्ली पहुंच गया। वहां कुछ दिन तक इधर-उधर घूमता रहा। इसके बाद रुपए खत्म हो गए तो दो वक्त के खाने के लिए उसने ढाबों पर बर्तन साफ करना और मजदूरी करना शुरू कर दिया। परेशान होकर छात्र आखिर घर लौट आया। झाझड़ ने बताया कि बालक काे सुपुर्द करने के बाद उसके माता-पिता काे भी समझाया गया है कि बच्चे पर पढ़ाई के लिए दबाव न डालें।
एक साल में भागे नाै बच्चे
पढ़ाई के दबाव में बच्चों के घर से भागने के नौ मामले सामने आ चुके हैं। लौटने पर इन बच्चों को बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया गया। काउंसलिंग में सामने आया कि पढ़ाई के दबाव में आकर ये बच्चे घर या हॉस्टल से भाग गए थे। बाद में पुलिस ने इन बच्चों को ढूंढ़कर परिजनों को सौंपा।